कुमाऊं के
तीर्थ स्थल
कुमाऊं की भूमि केवल प्राकृतिक सौंदर्य से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता और संस्कृति के अद्वितीय संगम से भी समृद्ध है। यह क्षेत्र, जहां पहाड़ों की ऊंचाईयों में बसने वाली देवताओं की कहानियां बसी हैं, सदियों से भक्तों और साधकों का आकर्षण केंद्र रहा है। कुमाऊं के तीर्थ स्थल केवल पूजा-अर्चना के स्थान नहीं हैं, बल्कि यह हमारे पूर्वजों की धरोहर, हमारी परंपराओं का जीवंत उदाहरण और संस्कृति की अमूल्य निधि हैं। इन्हें जानना, समझना और संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है, क्योंकि इनकी महत्ता हमारी आत्मा से जुड़ी है।
आज, हम कुमाऊं के कुछ प्रमुख तीर्थ स्थलों की यात्रा पर चलेंगे, जहां आपको न केवल देवताओं का आशीर्वाद मिलेगा, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत की झलक भी देखने को मिलेगी। यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं, बल्कि इनके पीछे छिपे गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्य हमें यह एहसास दिलाते हैं कि हमारी संस्कृति कितनी समृद्ध और विविधतापूर्ण है। आइए, इन स्थलों की महत्ता और विशेषताओं को समझें और इस धरोहर को सहेजने का संकल्प लें।

नन्दा देवी मन्दिर (अल्मोड़ा):

जागेश्वर धाम (अल्मोड़ा):

पाताल भुवनेश्वर (पिथौरागढ़):

बैजनाथ मंदिर (बागेश्वर):

बिनसर महादेव (रानीखेत):

कटारमल सूर्य मंदिर (अल्मोड़ा

गोलू देवता मंदिर (चैबटिया, रानीखेत):

हाट कालिका मंदिर (गंगोलीहाट, पिथौरागढ़):

बागनाथ मंदिर (बागेश्वर):

कैंची धाम (नैनीताल)

कुकड़ा माईया मंदिर (बागेश्वर)

चितई गोलू मंदिर (अल्मोड़ा)

गंगोलीहाट महाकाली मंदिर (पिथौरागढ़)

कोटगाड़ी भगवती मंदिर (चंपावत)

नैना देवी मंदिर (नैनीताल)

कोट भ्रामरी देवी मंदिर (कत्यूर, बागेश्वर)

डोल आश्रम (अल्मोड़ा)

सोनी बिनसर (रानीखेत)

भुमिया मंदिर (चौखुटिया मासी, अल्मोड़ा)
