कुमाँऊनी बंधुओं की
प्रेरक कहानियाँ
नारायण सिंह उन्यूड़ी
बागेश्वर ज़िले के रूनीखेत गांव के रहने वाले नारायण सिंह उन्यूड़ी समाज के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत रखने वाले सभी लोगों के लिए एक मिसाल हैं। 2017 में 12 कुमाऊं रेजिमेंट से ऑनरेरि कैप्टन रिटायर हुए नारायण सिंह रिटायरमेंट के बाद फौज, पुलिस और सशस्त्र सेना में जाने के इच्छुक और जरूरतमंद युवाओं को मुफ्त में ट्रेनिंग देने लगे I उन्होंने अपने घर के सामने खोली गांव की जमीन पर गोमती नदी के किनारे ट्रेनिंग के लिए मैदान तैयार किया और युवाओं को प्रशिक्षण देना शुरू किया। यह ट्रेनिंग गर्मियों में सुबह 5:00 बजे से और सर्दियों में 6:00 बजे से चालू हो जाती है और युवाओं को 2-3 घंटे ग्राउंड में कठिन ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है। शाम की कक्षा में बच्चों को विभिन्न प्रकार की गेम्स खिलाईं जाती हैं। यह प्रशिक्षण बिना किसी छुट्टी के होली, दिवाली और प्रमुख स्थानीय त्योहारों वाले दिन भी लगातार चलता रहता है। उनके पास केवल उत्तराखंड से ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी काफी संख्या में युवा ट्रेनिंग लेने आते हैं। युवाओं को अपने रहने और खाने की व्यवस्था खुद करनी होती हैI उनके द्वारा युवाओं को शारीरिक शिक्षा के साथ-साथ लिखित परीक्षा की तैयारी भी कराई जाती है। यह उनकी कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि अब तक भारतीय सेना, अग्निवीर, पुलिस और सशस्त्र सेना में सैकड़ों युवा भर्ती हो चुके हैं। वे युवाओं को न सिर्फ फौज और सशस्त्र सेनाओं में भर्ती होने की ट्रेनिंग देते हैं बल्कि उनकी कक्षाओं में नैतिक शिक्षा, देशभक्ति, मोटिवेशन, भजन-कीर्तन, लोकगीत, लोकनृत्य आदि अन्य महत्वपूर्ण चीज़ों से भी रंग जमाया जाता है I इनका Youth India Academy के नाम से यूट्यूब चैनल भी है। जिसको बड़ी संख्या में युवा और अन्य लोग देखते हैं। उनका मानना है कि चाहे अगर कोई युवा भर्ती न भी हो सके लेकिन इस प्रशिक्षण से शारीरिक तंदरुस्ती बनी रहती है वह नशे आदि चीज़ों से भी दूर रहता है I बच्चा कक्षा में जीवन के अनमोल सबक सीख कर उन्हें जीवन में अपनाकर देश का अच्छा नागरिक बन सकता है I नारायण सिंह जी गरीब परिवारों से आने वाले बच्चों के लिए सुविधाएं प्रदान करना चाहते हैं लेकिन इसके लिए धन की कमी आड़े आती है।
गोपाल गोस्वामी
गोपाल गोस्वामी, जन्म उत्तराखण्ड के बागेश्वर जिले के बमराड़ी में जन्मे। प्रारंभिक शिक्षा, गाँव के सरकारी विद्यालय में हुई। आगे की पढ़ाई रवाईखाल, वज्यूला, गरुड़ इंटर कॉलेज से हुई। कॉलेज के समय मंडल आंदोलन व उत्तराखंड आंदोलन में सक्रिय भूमिका के कारण घर छोड़ गुजरात के सूरत नगर में जाना हुआ। अब तक 3 दशकों के अनुभवी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट विशेषज्ञ हैं। गोपाल ने अपने तीस वर्षों के कार्यकाल में कई उद्यमों की नींव रखी और बड़ा किया।वे J K प्रोजैक्ट्स pvt ltd व GAP ग्रुप व ग्रीन मेनटर्स के संस्थापक हैं। वीर नर्मद दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स व सरदार वल्लभभाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (SNIT) सूरत, गुजरात से मैनेजमेंट में पीएचडी की है। अपनी पेशेवर उपलब्धियों के अलावा, गोपाल एक समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता हैं, कोविड काल में उत्तराखंड सरकार के आग्रह पर गुजरात, महाराष्ट्र, से प्रवासी श्रमिकों को आपसी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, एक एक कोने से लोगों को ट्रेन व बसों से घर तक सुरक्षित पहुँचाया। अपने पैतृक जिले बागेश्वर में करोना काल में ऑक्सीजन प्लांट व कॉन्संट्रेटर अपने व्यक्तिगत खर्चे से लगवाये। गोपाल एक स्वतंत्र स्तंभकार हैं, जो रणनीति, नीति, संस्कृति, इंफ्रास्ट्रक्चर, व्यवसाय और धर्म जैसे विषयों पर प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्रों और समाचार पोर्टलों में योगदान देते हैं।वे सूरत लिटरेरी फाउंडेशन के विचारक और संस्थापक भी हैं, जो प्रतिवर्ष सूरत लिटफेस्ट को #भारत@2047 और #आरंभ2024 के रूप में आयोजित करता है।