कुमाऊँ सभा (रजि) चण्डीगढ़ स्थापित 1959
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कुमाऊँ सभा का इतिहास

बात आज से छह-सात दशक पहले की है, चंडीगढ़ शहर नया-नया अस्तित्व में आया था। इसका शेष भारत के लोगों के लिए अपना एक विशेष आकर्षण बना हुआ था। भारत तब नया-नया अंग्रेजों के चुंगुल से दो भागों में विभक्त होकर स्वतंत्र हुआ था।

देश का कुमाऊं क्षेत्र अपनी सुरम्य घाटियों, उत्तुंग पर्वत शिखरों, प्रवहमान कल-कल करती नदियों और अपने अत्यंत सरल और सहज रहन-सहन के कारण भारत भर में विनीत भाव से समादृत था।

स्वतंत्रता के बाद कुमाऊँ के कठिन जीवनयापन को देखते हुए वहां के किशोर और युवा दिल्ली, लखनऊ की ओर आजीविका की तलाश में निकल पड़े, लेकिन नए-नए अस्तित्व में आए चंडीगढ़ ने भी उन्हें कम आकर्षित नहीं किया।

गत शताब्दी के पांचवें दशक में सैकड़ों-हजारों की तादाद में कुमाऊँनीजन एक गुच्छे के रूप में संयुक्त पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवाएं करते हुए आ बसे। अपने सरल स्वभाव एवं पर्वतीय अपनत्व के आकर्षण ने उन्हें शीघ्र ही परस्पर मित्रता की डोर में बांध लिया। 

Kumaon Sabha members' old historic photograph

प्रारंभिक काल में इन लोगों ने कीर्तन मंडली के रूप में अपनी पहचान बनाई और फिर इसी मंडली के कुछ प्रबुद्ध लोगों ने चंडीगढ़ में कुमाऊँ सभा की स्थापना का स्वप्न संजोया। इनमें सर्वश्री देवी दत्त, उज्ज्वल सिंह, गंगासिंह गैड़ा, तारा सिंह, शंकर दत्त चबडाल, मोहन सिंह रावत, शेर सिंह बिष्ट, गंगादत्त तिवाड़ी आदि के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इन्हीं लोगों के प्रयास से चंडीगढ़ में कुमाऊँ सभा को पंजीकरण संख्या 56 दिनांक 30 नवंबर, 1960 के अधीन पंजीकृत किया गया।

अपनी स्थापना के दो-तीन दशकों तक कुमाऊँ के प्रवासियों ने चंडीगढ़ में आपसी भाईचारे को अधिमान देते हुए एक-दूसरे के सुख-दुःख में सौहार्दपूर्ण ढंग से योगदान दिया और सभा की चंडीगढ़ में विशेष पहचान निर्मित की। इस बीच वर्षानुवर्ष नए पदाधिकारी चुने जाते रहे, जिनमें श्री लाल सिंह रावत, श्री धन सिंह रावत, श्री गंगा सिंह रावत आदि के नाम विशेष उल्लेखनीय रहे और सभी पदाधिकारी सभा के कार्यों को सुचारु रूप से अग्रिम पथ की ओर अग्रसर करते रहे। लेकिन विगत आठवें दशक में कुछ उद्धत लोगों ने श्रेय लेने की होड़ में सभा को क्षति पहुंचाने में सुविवेक का परिचय नहीं दिया। इन्हीं लोगों ने सभा को न्यायपालिका के चक्कर काटने के लिए भी मजबूर किया।

इस बीच नई शताब्दी का आगमन हो चुका था और अद्यतन निवर्तमान पदाधिकारी श्री बचन सिंह नगरकोटी, श्री राजेंद्र सिंह रावत, श्री लछम सिंह, श्री थानसिंह बिष्ट आदि ने अपने अथक परिश्रम से बुड़ैल में एक निर्मित कार्यालय सहित सभा के लिए काफी सराहनीय कार्य किया। सभा के गत वर्ष सम्पन्न चुनावों में नवीनतम पदाधिकारियों — श्री मनोज सिंह रावत, श्री दीपक सिंह परिहार, श्री नारायण सिंह रावत आदि से कुमाऊँनीजन सभा को सर्वोच्च शिखर तक पहुंचाने के लिए विशेष रूप से आशान्वित है। सभा से जुड़े सभी सदस्य इनकी सफलता के लिए विशेष सुकामना करते हैं।

हमारे पदाधिकारी